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जन्न्त की राह ।

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खोकर हमें फिर पा न सकोगे, जहाँ हम होंगे वह आ न सकोगे, हरपल हमें महसूस तो करोगे लेकिन पर हम होंगे वहां जहाँ से हमें फिर बुला न सकोगे।

ज़िन्दगी

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📚📖 जिंदगी में कभी भी अपने किसी हुनर पे घमंड मत करना, क्यूँकी पत्थर जब पानी में गिरता है तो अपने ही वजन से डूब जाता है !! 🙏सुप्रभात🙏

प्यारी यादें

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*मैं रहूँ, ना रहूँ, ...मेरी यादें* *मेरी सांसें , ......मेरे एहसास*,  *.......मेरे अल्फ़ाज़* *सब तुम्हारे पास गिरवी रह जाऐगे*  🌹❤🌹😌

दिल से

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तू मेरी धड़कन, मैं तेरी रूह, तू अगर हैं, तो मैं हूँ| www.facebook.com/kumar.ravi.1291

मंदिर का घंटा

" मंदिर का घंटा" .  . "स्टॅटिक डिस्चार्ज यंत्र" . किसी भी मंदिर में प्रवेश करते समय आरम्भ में ही एक बड़ा घंटा बंधा होता है। मंदिर में प्रवेश करने वाला प्रत्येक भक्त पहले घंटानाद करता है और मंदिर में प्रवेश करता है। क्या कारण है इसके पीछे? इसका एक वैज्ञानिक कारण है.. जब हम बृहद घंटे के नीचे खड़े होकर सर ऊँचा करके हाथ उठाकर घंटा बजाते हैं, तब प्रचंड घंटानाद होता है। यह ध्वनि 330 मीटर प्रति सेकंड के वेग से अपने उद्गम स्थान से दूर जाती है, ध्वनि की यही शक्ति कंपन के माध्यम से प्रवास करती है। आप उस वक्त घंटे के नीचे खडे़ होते हैं। अतः ध्वनि का नाद आपके सहस्रारचक्र (ब्रम्हरंध्र,सिर के ठीक ऊपर) में प्रवेश कर शरीरमार्ग से भूमि में प्रवेश करता है। यह ध्वनि प्रवास करते समय आपके मन में (मस्तिष्क में) चलने वाले असंख्य विचार, चिंता, तनाव, उदासी, मनोविकार.. इन समस्त नकारात्मक विचारों को अपने साथ ले जाती हैं, और आप निर्विकार अवस्था में परमेश्वर के सामने जाते हैं। तब आपके भाव शुद्धतापूर्वक परमेश्वर को समर्पित होते हैं। व घंटे के नाद की तरंगों के अत्यंत तीव्र के